Interview with Vipul Kulshreshtha, Author “Dil Ulfat aur Izhaar”
A soulful interview with poet Vipul, exploring love, emotions, and poetry through his book "Dil, Ulfat Aur Izhaar" and heartfelt verses.on Apr 22, 2025
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Frontlist: आपकी किताब "दिल, उल्फ़त और इज़हार" प्रेम के विभिन्न रंगों को खूबसूरती से प्रस्तुत करती है। इस रोमांटिक कविताओं के संग्रह को लिखने की प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
Vipul: इस सवाल का जवाब अपनी चार पंक्तियों से देना चाहूंगा
‘ गुलशन आबाद हो तो खुश्बुएँ छा ही जाती हैं,
मझधार में भी हो नैया किनारा पा ही जाती है,
लव्ज तो वही हैं जो अक्सर इस्तेमाल होते हैं,
दिल मोहब्बत से लबरेज हो तो शायरी आ ही जाती है ।।’
यह मेरी हिंदुस्तानी में दूसरी किताब है। मेरी पहली किताब ‘ मेरी रचना दिल से…’ भी प्रेम कविताओं का संग्रह है। दरसल हमेशा से, मुझे प्रेम मोहब्बत प्यार इश्क एक विषय के तौर पर प्रभावित करता रहा है और मेरा इस ओर हमेशा से रुझान रहा है। मेरी पहली किताब भी अंग्रेजी में आठ लघु कथाओं का संग्रह है ‘Missed Connections’. यदि पूछा जाए कि क्या कोई व्यक्ति विशेष प्रेरणा स्रोत है? तो अपनी और चार पंक्तियाँ कहना चाहूँगा,
मेरे मुँह से मेरे दिलबर के बारे में बयान ढूँढते हैं,
इंसान को छोड़ इंसान का दिल और उसकी जान ढूँढते हैं,
तीर जिगर के पार हुआ और किताबों के पन्ने रंग गए,
और ये बेदर्द तीर चलाने वाली कमान ढूंढते हैं ।।
Frontlist: आपकी कई कविताओं में तड़प, जुदाई और मिलन जैसे गहरे जज़्बात दिखाई देते हैं। क्या इनमें से कुछ आपकी निजी ज़िंदगी से या आपके आसपास की घटनाओं से प्रेरित हैं?
Vipul: देखिए, जो आप महसूस नहीं करते वह आप लिख नही सकते।जज्बात कवी के होते हैंपर कोई जरूरीनहीं कि उसपरउस वक्त वहबीत रहा हो । कविता का जन्म एक ख्याल से होता है चाहे वह ख्याल किसी भी वजह से कवी या शायर के दिमाग में आए। एक बार कवी उस ख्याल को लिखना शुरू करता है तो उसके बाद कविता खुद अपने आप को लिख लेती है। और जो कविता इस मंथन से उपजती है वह क्या होगी ये निर्भर करता है कि किस रस का कवी लिख रहा है।उदाहरण के तौर पर मान लीजिए बहुत दिनो की गर्मी के बाद बारिश हो रही है। उसे देख सामाजिक विषय पर लिखने वाला कवी लिखेगा
‘प्यासे खेत प्यासे खलिहानों की प्यास बुझा रही है,
किसान के आँसूओ की फरियाद रंग ला रही है,
बड़े इंतजार के बाद बरखा बहार आ रही है।।’
उसी बारिश को देखकर प्रेम कविताएँ लिखने वाला कवी लिखेगा,
‘ तन की तपन व्याकुल सा मन फिजा में उमस बेचैन नयन,
बड़े दिनों बाद सिहरन जगाए भीगी पवन,
क्या झूमकर बरखा रानी रस बरसा रही है,
मुझे मेरी प्रियतमा की याद आ रही है।।’
Frontlist: क्या आपको लगता है कि आज के दौर में भी कविता रिश्तों और प्रेम को अभिव्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है?
Vipul: बिल्कुल है। आप देख रहे होंगे बहुत से सांसद और स्वयं हमारे प्रधानमंत्री संसद में अपने विचार प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने के लिए कविता का सहारा लेते हैं। चाहे फिल्मी सितारे हों या और कोई वक्ता हों सब कविता और शायरी का इस्तेमाल करते हैं। यह देख कर बहुत खुशी की अनुभूति होती है कि नवयुवक और नवयुवतियाँ भी कविता का प्रयोग करते हैं और खुद भी बडी सुंदर कविताएँ लिखते हैं। जब मनोज शुक्ला जी माँ के ऊपर अपनी कविता सुनाते हैं तो अनगिनत लोगों के आँसू बह निकलते हैं । या कुमार विश्वास जब कविता सुनाते हैं तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो कर सुनते हैं। आज भी प्रीतम अपनी प्रेयसी को या माशूका अपने आशिक को संदेश लिखती है तो कविता का इस्तेमाल करने से और ज्यादा मोहित कर पाती है । इसके अलावा हास्य व्यंग्य भी खूब पसंद किया जाता है।
Frontlist: आपकी कविताओं की भाषा बेहद सरल और आम बोलचाल की लगती है। क्या यह एक सोच-समझकर लिया गया निर्णय था ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इससे जुड़ सकें?
Vipul: मैं कोई साहित्यिकपृष्टभूमि सेनहीँ हूँ।न मेरेपास साहित्य मेंकोई डिग्री याअन्य साहित्यिक क्वालीफिकेशनहै। मैतकनीकी पृष्टभूमिसे हूँ औरक्वालीफिकेशन सेऐरोनाटिकल इंजीनियरहूँ । हाँसाहित्य पढ़ने और लिखने का शौक हमेशा से रहा है। पर जो कुछ भी पढ़ा अपनी रुची से पढ़ा और अपनी रुची से ही लिखता हूँ। मेरा यह मानना है कि सोच या ख्याल महत्वपूर्ण होता है। भाषा अलंकार है, सजावट है, जिससे हम उस विचार को प्रस्तुत करने योग्य बनाते हैं।भाषा माध्यम है, जरिया है, जिससे हम उस ख्याल को लोगों को समझाते हैं। अक्सर लोग कहते हैं कि भई न तुम पूरी तरह हिंदी में लिखते हो न उर्दू में। मेरा जवाब होता है कि मैं हिंदुस्तानी में लिखता हूँ जिस जुबान में मैं सोचता हूँ, जिस जुबान में मैं महसूस करता हूँ और जिस जुबान में अधिकतर भारत बोलता समझता है। अफसोस इस बात का है कि अधिकतर साहित्यिक लेखन और खास तौर पर कविताओं को आम आदमी की समझ से ऊपर की चीज माना जाता है । और उस लेखन में भाषा भी ऐसी इस्तेमाल की गई जो आम लोगों को आसानी से समझ में न आए। पर जज्बात और एहसास किसी की धरोहर नहीं होते। ये सबमें होते हैं बिना किसी भेदभाव के। और मोहब्बत या इश्क एक आजाद जज़्बा है यह कोई दीवार नहीं मानता।जब भी कोई सुंदर चीज लिखी गई सरल भाषा में चाहे गालिब ने लिखी हो या नीरज ने या साहिर ने लोगों ने उसे समझा है उसका आनंद लिया है उसे दोहराया है और खूब सराहा है। मेरी किताब की भाषा भी सरल है। मुझे बड़ा फक्र महसूस होगा अगर मेरी कविता का प्रयोग कोई प्रीतम अपनी प्रियतमा को अपने जज्बात व्यक्त करने के लिए करे।
Frontlist: आज की तेज़ रफ्तार और डिजिटल दुनिया में लोग आपकी कविताओं से भावनात्मक रूप से कैसे जुड़ते हैं, आपका क्या मानना है?
Vipul: जिंदगी कीगती कितनी भीतेज हो दुनियाकितनी भी डिजिटलक्यों न होजाए कुछ चीजें हमेशा सुकून देती हैं और जिनसे मन का संतुलन बना रहता है।अच्छे रिश्ते,अच्छा संगीत, अच्छी लिखाई, अच्छा नृत्य । इसलिए कि इनका रिश्ता रूह से है, दिल से है, मन से है। प्रेम कभी आउटडेटेड नहीं हो सकता। जज्बात कभी आउटडेटेड नहीं हो सकते। डिजिटल दुनिया में भी जिस कार्यकलाप से सुकून मिले उसके लिए समय बना ही लेते हैं लोग। मी टाइम और माई स्पेस किस लिए रखा जाता है? सब्बाटिकल क्यों लिया जाता है? मेरे ख्याल में ऐसे क्षणों में किसी नदी के या तालाब के किनारे या सागर किनारे या पेड़ के नीचे बैठकर मेरी किताब पढ़ने से जरूर सुकून का आभास होगा।और अगर किसी की मोहब्बत में कैद हैं तो इस किताब में बहुत से वो एहसास मिलेंगे जो वे स्वयं महसूस कर रहे हैं ।
Frontlist: आपने हिंदी में कविताएँ और अंग्रेज़ी में कहानियाँ व उपन्यास लिखे हैं। हिंदी में कविता लिखने की प्रक्रिया अंग्रेज़ी में गद्य लेखन से कितनी अलग होती है?
Vipul: गद्य लेखन औरकविता लेखन चाहेहिंदी में होया अंग्रेजी में हो, में, एक बुनियादी फर्क यह है कि कविता सिर्फ दिल से लिखी जाती है और कहानी या उपन्यास लिखने के लिए दिल और दिमाग दोनो उपयोग में लाने पड़ते हैं । कविता में और खासकर प्रेम कविता में आपकी पात्र एक ही होती है आपकी महबूबा या माशूका उसी के इर्दगिर्द सारा ताना बाना बुना जाता है और हर बार एक अलग ख्याल के साथ और एक अलग तरह से अलग अलग पृष्ठभूमि में प्यार लगाव दुलार और उससे उत्पन्न विभिन्न भावनाओं को दर्शाना होता है। जबकी कहानी हो या उपन्यास उसमें पहले आपको एक खाका मन मे तैयार करना पड़ता है कि क्या आप लिखना चाहते हैं उसकी शुरुआत क्या होगी मध्यभाग क्या होगा और अंत क्या होगा। फिर उस खाके के हिसाब से उसमे वाक्यात डाले जाते हैं आपके मुख्य पात्रों के अलावा अन्य पात्रों का चयन करना पड़ता है। हर पात्र को उसका व्यक्तित्व दिया जाता है। जगह सोचनी पडती है जहाँ आपकी कहानी या कहानी के प्रसंग घटित होंगे। और हर पात्र के जज्बात और एहसास सोचने पड़ते हैं। संक्षेप में कहा जाए तो प्रेम कविता कवी की आत्मा का निचोड़ होती है । और गद्य कहनी या उपन्यास लेखक की लेखन कुशलता का निचोड़ होती है ।
Frontlist: "दिल, उल्फ़त और इज़हार" पढ़ने के बाद आप चाहते हैं कि पाठकों के मन में कौन-सी भावना या संदेश बचा रहे?
Vipul: इस सवाल का जवाब भी अपनी चार पंक्तियों से देना चाहूंगा,
‘ संगदिल और खुदगर्ज दुनिया में चैन से जीना दुश्वार है,
हर शख्स परेशाँ है यहाँ,कुछ की करनी पर धिक्कार है,
सिर्फ मोहब्बत एक वाहिद जज्बा है जिससे सुकून और करार है,
तब तक उम्मीदें जिंदा हैं जब तक दुनिया में पाक साफ प्यार है।।’
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